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वीडियो जानकारी: 07.05.24, वेदान्त संहिता, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
~ गुरु शिष्य का रिश्ता कैसा होना चाहिए?
~ आख़िर किस तरह के स्वाल हमें अपने गुरु से पूछने चाहिए?
~ यम के सामने नचिकेता के सवाल कैसे हैं?
~ गुरु का काम क्या हैं?
~ हम सवाल क्यों पूछते हैं?
- हम सवाल, जवाब के लिए नहीं, बल्कि चैन पाने के लिए पूछते हैं
- गुरु प्रश्नकर्ता को चैन देता है, जब प्रश्नकर्ता ही साफ हो जाए
- प्रश्नकर्ता ही लीन हो गया ये समाधान की निशानी है
- हम सब प्यासी चेतनाएं हैं, चेतना के प्यासे
- मशीन से मनुष्य, और फिर मनुष्य से महात्मा
- मूर्ख आदमी सामने वाली के प्रश्न देखता है। महात्मा उसकी हालत देखता है, वो शब्दों में नहीं पड़ता
- बंधन को छोड़ना ही मुक्ति है
शतायुषः पुत्रपौत्रान् वृणीष्व बहून् पशून् हस्तिहिरण्यमश्वान्।
भूमेर्महदायतनं वृणीष्व स्वयं च जीव शरदो यावदिच्छसि ॥ २३ ॥
(यमाचार्य उसे प्रलोभित करते हुए बोले- ) हे नचिकेता ! तुम सौ वर्ष पर्यन्त जीवन धारण करने वाले पुत्र और पौत्रों को, बहुत से (गौ आदि) पशुओं को तथा हाथी, स्वर्ण और अश्वों को (हमसे) माँग लो। पृथ्वी के बड़े विस्तार वाले साम्राज्य की माँग कर लो। स्वयं भी जितने वर्षों तक जीवनयापन की आकांक्षा हो, जीवित बने रहो ॥ २३ ॥
कठोपनिषद, श्लोक 1.1.23
संगीत: मिलिंद दाते
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